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Order 22 Rule 4 CPC Procedure in the case of death of one of several defendants of sole defendant.

Order 22 Rule 4 CPC Procedure in the case of death of one of several defendants of sole defendant.  आदेश 22 नियम 4 सीपीसी- कई प्रतिवादियो मे...

Order 9 rule 13 CPC--Setting aside decree ex parte against defendant.
आदेश 9 नियम 13 सी. पी. सी.--
प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करना 


न्यायिक प्रक्रिया में विधि का यह सुस्थापित सिद्धांत हैं की प्रत्येक न्यायिक कर्यवाही या विचारण पक्षकारो की उपस्थिति में किया जाना चाहिए | न्यायालय सामान्यतः पक्षकारो की अनुपस्थिति में किसी प्रकार की कर्यवाही का विचारण नही करता हैं इसी कारण किसी कार्यवाही के प्रारम्भ किये जाने के पूर्व न्यायालय विरोधी पक्षकार को समन द्वारा  न्यायालय में उपस्थित रहने हेतु आहूत करते हैं तथा न्यायालय के ऐसे समन की पलना ना करने पर पक्षकार को उसके परिणाम भुगतने होते हैं | इसी प्रक्रिया के बारे में आदेश 9 में उपबंध किये गये हैं |आदेश 9 नियम 6 के अंतर्गत यदि सभ्यक तामील के उपरांत प्रतिवादी नियत दिनांक को उपस्थित नहीं होता है तब न्यायालय उसके विरुद्ध एकपक्षीय कार्यवाही का आदेश कर सकेगा।तथा इस आदेश में उल्लेखित उपबंधों के अंतर्गत विचारण के दौरान एकपक्षीय आदेश को अपास्त नहीं कराने की सूरत में न्यायालय एकपक्षीय डिक्री वादी के पक्ष में पारित कर सकेगा।

अन्य आदेश 9 के अन्य  उपबंधों की जानकारी के लिये यहाँ clik करे।

आदेश 9 नियम 13 सी. पी. सी. में एकपक्षीय डिक्रीयो को अपास्त करने सम्बन्धी प्रक्रिया दी गयी है।
नियम 13-- प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करना--किसी ऐसे मामले में जिसमे डिक्री प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय पारित की गयी है,वह प्रतिवादी उसे अपास्त करने के आदेश के लिए आवेदन उस न्यायालय में कर सकेगा जिसके द्वारा वह डिक्री पारित की गयी थी और यदि वह न्यायालय को यह समाधान कर देता है कि समन की तामील सभ्यक रूप से नहीं की गयी थी या वह वाद की सुनवाई के समय उपस्थित होने से किसी पर्याप्त कारण के अनुउपस्थित रहा था तो खर्चो के बारे में,न्यायालय में जमा करने के या अन्यथा ऐसे निबन्धनों पर जो वह ठीक समझे,न्यायालय यह आदेश करेगा कि जहां तक डिक्री उस प्रतिवादी के विरुद्ध है वहां तक अपास्त कर दी जाय और वाद को आगे कार्यवाही के लिए दिन नियत करेगा:

     परन्तु जहां डिक्री ऐसी है कि केवल ऐसे प्रतिवादी के विरुद्ध अपास्त नहीं की जा सकती वहा वह अन्य सभी प्रतिवादियों या उनमे से किसी या किन्ही के विरुद्ध भी अपास्त की जा सकेगी;
      परन्तु यह और कि यदि न्यायालय को यह समाधान हो जाता है कि प्रतिवादी को सुनवाई की तारीख की सुचना थी और उपसंजात होने के लिए और वादी के दावे का उत्तर देने के लिए पर्याप्त समय था तो वह एकपक्षीय पारित डिक्री को केवल इस आधार पर अपास्त नहीं करेगा कि समन की तामील में अनियमता हुई थी।

स्पष्टीकरण- जहां इस नियम के अधीन एकपक्षीय डिक्री के विरुद्ध अपील की गयी है और अपील का निपटारा इस आधार से भिन्न किसी आधार पर कर दिया गया है कि अपीलार्थी ने अपील वापिस ले ली है वहां उस एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करने के लिए इस नियम के अधीन कोई आवेदन नहीं होगा।

   इस नियम के अधीन उसी न्यायालय जिसके द्वारा डिक्री प्रदान की गयी है उसी न्यायालय द्वारा नियम में उल्लेखित शर्तो के अनुसार एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करने की शक्ति न्यायालय
को प्रदान की गयी है।

     यह संहिता का महत्व पूर्ण उपबंध है।प्रतिवादी की जानकारी के बिना उसके विरुद्ध एकपक्षीय डिक्री हो जाने पर उसे जानकारी होने पर उस एकपक्षीय डिक्री को उसी न्यायालय द्वारा डिक्री को अपास्त करने का अधिकार दिया गया है।इसके अलावा प्रतिवादी को निम्न उपचार संहिता में दिये गये है--

1.  प्रतिवादी द्वारा उस डिक्री के विरुद्ध अपील कर सकता है
                        (धारा 96)
2.पुनर्विलोकन कर सकता है।
         (धारा 114 व आदेश 47)
इस नियम का विवेचन निम्न न्याय निर्णयों में निम्न प्रकार से विवेचित किया गया है--

1. अधिवक्ता द्वारा पक्षकार को सुचना दिए बिना वकालतनामा  विड्रॉल करने से एकपक्षीय कार्यवाही--देरी को क्षमा कर एक पक्षीय डिक्री को अपास्त की।
    1996(2) DNJ (S C)402

2.एकपक्षीय डिक्री अधिवक्ता की गलती से पारित हुई। आवेदन पेश करने में 63 दिन का विलम्ब।वकील की त्रुटि के कारण पक्षकार पीड़ित नहीं होना चाहिये।अभिनिर्धारित--विलम्ब शमन एवम एक तरफ़ा डिक्री अपास्त की गयी।
       1998(2)DNJ (Raj.)747

3.एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करने के आवेदन के साथ विलम्ब क्षमा का अलग से प्राथना पत्र की आवश्यकता नहीं है।
           AIR 1988 Ker.257

4. वाद का स्थान्तरण होने की सुचना नहीं दी गयी।जिससे प्राथी को उपसंजात होने की जानकारी नहीं हुई।एकपक्षीय डिक्री को अपास्त करने का अच्छा आधार माना गया।
      AIR 1995 AP 58

5. अधिवक्ता द्वारा हड़ताल के कारण उपस्तिथि नहीं दी।एकपक्षीय डिक्री कॉस्ट से अपास्त की गयी।
         AIR 2001 SC 207

6.एकपक्षीय व्यादेश का आदेश डिक्री नहीं है।तथा उसकी अपील आदेश 43 नियम 1सपठित धारा 104 के अन्तर्गत अपीलीय आदेश है। आदेश 9 नियम 13 के उपबंध लागु नहीं होते है।
7. हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13-  रेस्पोडेन्ट पत्नि पर समन की प्रभावी तामील नहीं हुई।
एकपक्षीय डिक्री अपास्त के आदेश में अवैधता नहीं है।
8. आदेश 5 नियम 17 का अवलंब लिए बिना प्रतिस्थापित तामील द्वारा तामील की गयी।एकपक्षीय डिक्री अपास्त की गयी।
       2014 (2) DNJ Raj.568

     उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि यह महत्वपूर्ण उपबंध है।




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